अयोध्या मामला: श्री श्री रविशंकर को मध्यस्थ बनाये जाने के खिलाफ असदुद्दीन ओवैसी, कहा- उन्हें निष्पक्ष होना चाहिए

Ayodhya land dispute: अयोध्या विवाद में मध्यस्थ नियुक्त होने पर श्री श्री रविशंकर ने कहा कि सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना. इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है.

ABP News Bureau Last Updated: 08 Mar 2019 01:06 PM
श्री श्री रविशंकर को मध्यस्थ बनाये जाने के खिलाफ हैं असदुद्दीन ओवैसी. उन्होंने कहा कि मध्यस्थ को निष्पक्ष होना चाहिए. हम उनसे निष्पक्ष रहने की उम्मीद करते हैं. हम कोर्ट के कदम का स्वागत करते हैं.
मायावती ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा- अयोध्या मामले का सभी पक्षों को स्वीकार्य तौर पर निपटारे के लिये माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैज़ाबाद में बंद कमरे में बैठकर मध्यस्थता कराने का जो आदेश आज पारित किया है वह नेक नीयत पर आधारित ईमानदार प्रयास लगता है, इसलिये बीएसपी उसका स्वागत करती है.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल और सदस्यों को शामिल कर सकता है और इस संबंध में किसी भी तरह की परेशानी पर वह शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को जानकारी दे सकता है.
अयोध्या विवाद में मध्यस्थ नियुक्त होने पर श्री श्री रविशंकर ने कहा- सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना. इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है.
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा- हम पहले ही कह चुके हैं कि मध्यस्थता में हम सहायता करेंगे. अब जो कुछ भी कहना होगा हम मध्यस्थों के बीच कहेंगे.
मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी का कहना है की मध्यस्थता के लिए पैनल बनाया गया है इससे हल हो जाए तो बेहतर है. लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल है क्योंकि कई पक्षकार हैं. पहले भी हमारे वालिद और ज्ञानदास ने कोशिश की थी. लेकिन इसमें राजनीति होती रही.
सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफ एम कलीफुल्ला राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में मध्यस्थता करने वाले पैनल के मुखिया होंगे.
हिंदू संगठनों का कहना है कि श्री श्री रविशंकर को राम मंदिर मामले में लाना गलत है और हम कोर्ट के फैसले पर विचार करने के बाद आगे का कदम उठाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए पैनल गठित की. पैनल में जस्टिस ख़लीफुल्ला, श्री श्री रविशंकर और तीसरा नाम श्रीराम पंचु का है. रिपोर्ट गोपनीय रखा जाएगा. इसकी रिपोर्टिंग नहीं होगी. फैज़ाबाद में मध्यस्थता होगी. हफ्ते भर में प्रक्रिया शुरू की जाएगी. 4 हफ्ते में पैनल कोर्ट को तरक्की का ब्यौरा देगा.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा- मध्यस्थता में कोई कानूनी अड़चन नज़र नहीं आती है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल गठित की.

Background

नई दिल्ली: अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का समाधान मध्यस्थता के जरिए हो या नहीं आज इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को इस मुद्दे पर विभिन्न पक्षों को सुना था. पीठ ने कहा था कि इस भूमि विवाद को मध्यस्थता के लिये सौंपने या नहीं सौंपने के बारे में बाद में आदेश दिया जायेगा.


 


इस प्रकरण में निर्मोही अखाड़ा के अलावा अन्य हिन्दू संगठनों ने विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजने के शीर्ष अदालत के सुझाव का विरोध किया था, जबकि मुस्लिम संगठनों ने इस विचार का समर्थन किया था. हालांकि मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि निर्मोही अखाड़ा मध्यस्थता के लिए तैयार है.


 


शीर्ष अदालत ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.


 


निर्मोही अखाड़ा जैसे हिंदू संगठनों ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों - न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति ए के पटनायक और न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी के नाम मध्यस्थ के तौर पर सुझाए जबकि स्वामी चक्रपाणी धड़े के हिंदू महासभा ने पूर्व प्रधान न्यायाधीशों - न्यायमूर्ति जे एस खेहर और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ए के पटनायक का नाम प्रस्तावित किया.


 


अयोध्या विवाद: निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम पक्षकार मध्यस्थता के पक्ष में है, रामलला विराजमान ने किया 


 


सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजा जाए या नहीं इस पर आदेश देगा. साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि मुगल शासक बाबर ने जो किया उसपर उसका कोई नियंत्रण नहीं और उसका सरोकार सिर्फ मौजूदा स्थिति को सुलझाने से है.


 


शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसका मानना है कि मामला मूल रूप से तकरीबन 1,500 वर्ग फुट भूमि भर से संबंधित नहीं है बल्कि धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि न्यायालय को यह मामला उसी स्थिति में मध्यस्थता के लिये भेजना चाहिए जब इसके समाधान की कोई संभावना हो. उन्होंने कहा कि इस विवाद के स्वरूप को देखते हुये मध्यस्थता का मार्ग चुनना उचित नहीं होगा.


 


इससे पहले, फरवरी महीने में शीर्ष अदालत ने सभी पक्षकारों को दशकों पुराने इस विवाद को मैत्रीपूर्ण तरीके से मध्यस्थता के जरिये निपटाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था. न्यायालय ने कहा था कि इससे ‘‘संबंधों को बेहतर’’बनाने में मदद मिल सकती है.


 


अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई, कोर्ट नियुक्त कर सकता है मध्यस्थ


 


शीर्ष अदालत में अयोध्या प्रकरण में चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 अपील लंबित हैं. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि तीनों पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बांट दी जाये.



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